Diya Jethwani

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लेखनी प्रतियोगिता -08-Sep-2022... मेरे हमसफ़र..


अंजली.... क्या बात हैं...। तुम कुछ परेशान लग रहीं हो...। मैनें नोटिस किया तुम रास्ते पर अचानक से कहीं खो गई थीं...। मैं तुम्हें आवाज़ दे रहा था पर तुम्हारा ध्यान ही नहीं था...। घर आने के बाद भी मैं देख रहा हूँ... तुम बहुत खोई खोई सी हो...। बात क्या हैं.. .। 


नहीं.... कुछ भी तो नहीं... आपको पता नहीं क्यूँ ऐसा लग रहा हैं...। वो बस थोड़ा.. थक गई हूँ... और कुछ नहीं...। 

विजय अंजली के करीब जाकर उसके कंधे पर अपना हाथ रखकर अपनी तरफ़ खींचते हुए :- क्या छुपा रहीं हो अंजली... तुम्हारी आंखें... तुम्हारे लब्जों का साथ नहीं दे रहीं हैं..। बोलो बात क्या हैं..। 


अंजली अपने आपको रोक नहीं सकी और विजय की बांहों में समाकर रोने लगी..। 

विजय ने उसे कसकर गले से लगा लिया और कहा :- पगली प्यार करता हूँ तुझसे.. पत्नी हैं तु मेरी.... तेरी हंसी... खुशी... आंसू... गम़ ... मुझसे कैसे छिप सकते हैं...। चल अब बता क्या बात हैं...। 

अंजली विजय की बांहों में ही खोई रहीं और बोलीं :- विजय.... मैने शादी से पहले आपको अजीत के बारे में बताया था ना...। 


हाँ... बताया था.... लेकिन आज अचानक... क्या उसकी कुछ खबर मिली हैं तुम्हें..? 

विजय मैने उसे... मैने उसे.... आज... देखा...। 

विजय आश्चर्य से यहाँ.... लेकिन वो तो लापता हो गया था ना.... तुमने बताया था... वो गुमशुदा हैं... अगर तुमने देखा तो उस वक्त मुझे बताया क्यूँ नहीं... । 

अंजली विजय से दूर होते हुए खिड़की की तरफ़ जातें हुए बोलीं :- क्या बताती और कैसे बताती विजय... वो इस हालत में मुझे कभी दिखेगा.... मैने कभी सोचा भी नहीं था...। 


इस हालत में.... मतलब...! 

विजय हम जब वापस मॉल से लौट रहे थे तो रास्ते में सिग्नल पर मैने उसे देखा... फटे हुवे कपड़े... बाल और दाढ़ी बढ़ी हुई... पैरों में चप्पल तक नहीं....पास खड़े बच्चे उसे ए पागल कह कहकर चिढ़ा रहे थे...। उस पर हंस रहे थे..। और वो बिल्कुल बेसुध सा सड़क के बीच में चल रहा था...। 


तुम्हें पूरा यकीन हैं अंजली वो अजीत ही था..! कहीं तुम्हें कोई धोखा तो नहीं हुआ था..। 

विजय पहले मुझे भी ऐसा ही लगा... लेकिन फिर मेरी नज़र उसके हाथ में बने टैटू पर गई...। उसके हाथ पर मेरे और उसके नाम का टैटू बना हुआ हैं...। 

ओहह....। तो इसलिए तुम परेशान हो..। 

विजय... तुमसे शादी करना मेरे परिवार वालों की जिद्द थीं...। लेकिन तुमसे शादी के बाद मैने पूरी ईमानदारी से इस रिश्ते को निभाया... मैं अपना बिता कल भूलाकर आज में जी रहीं थीं...। लेकिन फिर कुछ महीनों पहले उसकी गुमशुदगी का पता चला तो मन थोड़ा बैचेन होता था...। मैं हर दिन ईश्वर से उसकी सलामती की प्रार्थना करतीं थीं...। लेकिन आज जब उसको इस हालत में देखा तो मुझे अपने आप से घृणा होने लगी हैं...। उसकी इस हालत की जिम्मेदार मैं हूँ...। मैं तो अपने परिवार में... अपनी जिंदगी में आगे बढ़ रही हूँ... लेकिन वो.... वो आज इस तरह की जिंदगी सिर्फ मेरी वजह से जी रहा हैं...। 


कहते कहते अंजली की आंखें भर आई....। 
विजय फिर से अंजली के पास गया और उसे संभालते हुए अपने सीने से लगाते हुवे बोला :- अंजली.... इन सब में तुम्हारी कोई गलती नही हैं...। सब किस्मत का लिखा होता हैं... और मैं तुम पर कभी शक़ कर ही नहीं सकता...। तुमने तो शादी से पहले ही मुझे सब सच सच बता दिया था...। जो हुआ.... अब उसे दोहराने और खुद को इल्जाम देने से अच्छा हैं हम सिचुएशन को ठीक करने की कोशिश करे...। 

तुम और मैं अभी वापस उसी जगह चल रहें हैं और अजीत को अपने साथ ला रहें हैं...। 


अंजली.... आश्चर्य से... व्हाट....ये आप क्या बोल रहे हैं...! 

सोच समझकर बोल रहा हूँ...। अभी सवाल जवाब छोड़ो और चलो मेरे साथ...इससे पहले की हम फिर से उसे खो दे...। 

विजय....आप जोश में आ रहें हैं....। आप कुछ भी बोल रहे हैं...। ये मुमकिन नहीं हैं... हम उसे यहाँ कैसे ला सकते हैं..। 

यहाँ नहीं ला सकते... लेकिन उसे बेहतर जिंदगी तो दे सकते हैं... । 

मतलब...! 

तुम साथ चलो.... रास्ते में सब समझाता हूँ...। 

लेकिन विजय...। 

अभी एक ओर लब्ज़ नहीं अंजली... प्लीज चलो... इससे पहले की देर हो जाए...। 

विजय अंजली का हाथ थामकर अपनी  कार में बिठाकर वापस उस ओर चल दिया...। वहाँ जाकर आस पास के लोगों और बच्चों से पूछते हुए... करीब घंटे भर की मशक्कत के बाद उन्होंने अजीत को ढूंढ लिया...। अजीत अपना मानसिक संतुलन खो चुका था... वो किसी को भी अपने करीब आने नहीं देता था... ऐसे में विजय का उसे साथ ले जाना मुमकिन नहीं था... इसलिए विजय ने अपने फैमिली डाक्टर की मदद से अजीत को ले जाने के लिए कुछ डाक्टरों के स्टाफ़ को बुलाया और अजीत का एक अच्छे हास्पिटल में इलाज शुरू करवाया...। महीनों के इलाज और देखभाल के बाद अजीत के स्वास्थ्य में बेहतरीन सुधार आ रहा था...। इस दौरान अंजली ने भी अजीत की बहुत देखरेख की थीं...। 


अजीत को पूरी तरह से ठीक होने में तीन साल लग गए...। इस दौरान विजय और अंजली ने अपनी तरफ़ से शत प्रतिशत दिया...। ठीक होने के बाद जब अजीत को इन सब का पता चला तो वो विजय के पैरों में गिर गया...। वो समझ ही नहीं पा रहा था की उसका शुक्रिया कैसे अदा करें...। अजीत अब वहाँ रहकर अंजली की शादीशुदा जिंदगी में दखल नही देना चाहता था...। इसलिए वो विजय और अंजली से विदा लेकर चल दिया... अपने बेहतर कल की फिर से नई शुरुआत करने के लिए...। 

अजीत के जाने के बाद अंजली ने विजय को गले से लगाकर कहा :- मैं तुम्हारा ये अहसान कभी नहीं चुका पाऊंगी विजय...सच में मैं बहुत खुशकिस्मत हूँ जो मुझे तुम जैसा हमसफ़र मिला.. । मेरे पास्ट के बारे में जानने के बाद भी मुझे अपनाना और इस तरह मेरी परेशानी में साथ देना.. आइ लव यू विजय...आइ रियली लव यू...। 

ये सब मैने अपने लिए किया हैं अंजली... तुम परेशान होतीं हो तो मैं भी बैचेन हो जाता हूँ... रहीं बात पास्ट की तो वो सब का कुछ ना कुछ होता हैं... और फिर इंसानियत भी तो कुछ चीज़ होतीं हैं ना...। वैसे एक बात ओर कहूँ अंजली..। 

अंजली विजय की बांहों में समाती हुई :- हम्मम बोलो...। 

विजय ने अंजली के गालों को अपने चेहरे के करीब लाकर उस पर किस करते हुए कहा :- तुमसे ज्यादा प्यार.... मैं तुमसे करता हूँ....मिसेज विजय अंजली कौशल....। 



अंजली शर्माते हुए विजय के सीने से लग गई...। 
सच में ना सिर्फ एक अच्छे हमसफ़र बल्कि एक इंसानियत का भी बहुत अच्छा उदाहरण दिया था विजय ने...। 






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17 Comments

Pallavi

10-Sep-2022 11:12 PM

Nice post 👌

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Chirag chirag

10-Sep-2022 06:51 PM

Nice

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Sushi saksena

10-Sep-2022 05:02 PM

Very nice

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